हम अकेले ही चले थे जानिबे मन्जिल मगर,लोग साथ आते ग्रे और कारवां बनता गया

न्यूज 22इंडिया
संघे शक्ति कल युगे! यह जुमला बहुत पुराना है! लेकीन आज के समाज में भी प्रसांगिक बना हुआ है। पत्रकार समाज आन्दोलित है! महीनों से लड़ाई के बाद भी दोषी अधिकारीयो पर कार्यवाही न होते देखकर विचलित है?।

इसके मूल में आईएस, पीपीएस, संगठन है।जिसकी चपेट में आकर दम तोड रहा पत्रकार संगठन है। पत्रकार समाज जिलाधिकारी पुलिस अधीक्षक के कूकृत्य के खिलाफ लामबंद है! लेकिन पता होना चाहीए ऐ शहंशाही ब्यवस्था के सिपाहसलार है! इनके उपर हमेशा लटकती तलवार है?

हर कदम पर नजर रखती सरकार है!इन्हीं के दम पर शासन सत्ता का चलता कारोबार है।इनका मजबूत संगठन है! एक जिलाधिकारी की शिकायत दुसरा नहीं सुन सकता! और वही काम कर रहा पत्रकार है? पुरे प्रदेश में आन्दोलन चल रहा है

लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास इसकी कोई खबर नहीं है?।सारी सूचना गलत दी जा रही है! यह सूत्रों के हवाले से खबर आ रही ह?।सच भी समझ में आ रहा है! इतनी बड़ी घटना के बाद भी अब तक पाजटीव रिजल्ट नहीं मिला आखिर क्यों?

पत्रकार समाज को अब जन प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी बात प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुचानी होगी? सच्चाई बतानी होगी! वरना किसान आन्दोलन के तरह पत्रकार आन्दोलन का भी परिणाम सार्थक नही होगा?सड़क पर धरना दिन भर भूखों मरना अब ठीक नहीं है?

सियासी रहनुमाओं का घेराव अब मजबूरी है।शासन प्रशासन से टकराव होना लाजमि है फिर भी आपने अपने इलाके के बिधायक सांसद के माध्यम से आवाज उठाना जरुरी है?।बगावत की बयार आंधी बनती जा रही है लेकिन इसको सुनामी बनाने के लिये अन्दर खाने तक पैठना होगा। बेगुनाह पत्रकारों को जेल‌ मे‌ डाल‌कर‌ मुस्करा रहे‌ अधिकारीयों को सबक सिखाने के लिये संकल्प के साथ सड़क से संसद तक लड़ना होगा है?

आज पत्रकार समाज जाग चुका है! लोकतंत्रात्मक तरीके से अपनी सम्वैधानिक लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने के लिये शाम राम दंड भेद का फार्मूला अख्तियार करना ही पड़ेगा! बलिया‌ की बागी धरती पर जितनी तेवर के साथ पत्रकार बगावत का बिगुल बजा रहे हैं !और उनके समर्थन में प्रदेश भर के पत्रकार ललकार बांधे हुये है!

जगह जगह पत्रक आन्दोलन धरना‌ कर रहे हैं फिर भी परिणाम सार्थक नहीं आयाआखिर क्यो यह सवाल आज बवाल बन गया है?इस पर मन्थन जरूरी है। जिन पत्रकार साथियों के सहयोग से सियासतदार‌ सरकार‌ तक पहुचते‌ है!बादशाही जीवन बशर करते‌ है? आज हासिये पर खड़े हैं आखिर क्यो?

पत्रकार समाज आज जिस मुकाम पर खड़ा है अपने ईमानदारी को साबित दमदारी से नहीं कर पाया तो आने वाला कल काफी भयावह होगा?पत्रकार संगठन के नाम पर दूकान चलाने वाले जो केवल वाटशप पर घडियालू आंसू बहा रहे हैं एक जुट हो जाय ईमानदारी से इस लड़ाई में अपनी सहभागिता निभा दे तो दूध का दूध पानी का पानी होते देर नहीं लगेगी!

मगर नहीं सजनी हमहू राजकुमार का स्वान्ग रचाते पत्रकार समाज को गुमराह कर तिजारत करने वाले घरों में दुबके पड़े अपनी दूकान सजाने में लगे हैं।आज जब सच्चाई की ईबारत पर पत्रकार जेल में है! तब भी तमाम पत्रकार संगठन के मुखिया चुप्पी साध लिये‌ है?इस मामले का हल आज नहीं तो कल होगा!

लेकिन सच की तहरीर पर विराम लग जायेगा।समाज मे‌ विकृत ब्यवस्था का आगाज होगा हिटलरशाही अफसरशाही का राज होगा! अभी तो आगाज है! अन्जाम खुदा जाने?

पत्रकार समाज को जागृत होना पड़ेगा! द्वेश भावना से उपर उठकर एक मंच पर आना होगा! तभी सुरक्षित रह पायेगा यह समाज! मान सम्मान के साथ अपनी बात को दमदारी से रख पायेगा!वरना अभी क्या हुआ जो होगा वह और भी बुरा होगा!
जगदीश सिंह

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