बिना उपयोग किये ही जर्जर होकर धराशाही हो रहे हैं शौचालय

न्यूज 22 इंडिया
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
सरकार जनता के आराम के लिए लाख योजनाएं व उपाय अपना ले मगर जमीनी स्तर से सरकार के द्वारा दी गई योजनाओं में कही न कही पलीता लगाया जा रहा हैं , जिसका ग्रामीण न तो सही से लाभ पा रहे न उपयोग कर पा रहे हैं। कुछ ऐसा ही फरमान  केंद्र सरकार ने जारी किया की घर घर शौचालय होना जरूरी है।

जिसे लोग शौच के लिए बाहर न जाये और जैसे ही स्वच्छता के नाम पर शौचालय का नाम इज्जत घर भी रखा गया। जो इसके नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी फैसला किया की हर एक घर में शौचालय दिया जाएगा जिससे बहन बेटियों को खेतों में ना जाना पड़े।

और वह अपने आप को सुरक्षित महसूस कर बाहर न जाये। जिसकी जिम्मेदारी सभी स्थानीय ब्लॉक के अधिकारी और ग्राम प्रधानों को दी गई कि गांव के हर एक घर में एक शौचालय होना अनिवार्य है। वही शौचालय के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपए खर्च हुए और उन रुपयों का सदुपयोग हुआ यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

आपको बताते चले कि बाराबंकी जनपद क्षेत्र में ग्रामीणों इलाकों में जो शौचालय बने क्या उनका उपयोग हो रहा हैं नही न, वो तो सिर्फ हर एक ग्राम पंचायतों में शो पीस बने हुए हैं जिसमें शौच के लिए ग्रामीण खुद कतराते है क्योंकि बने हुए शौचालय घटिया और आधे अधूरे कबाड़ की तरह पड़े हैं।

ऐसे कई जिले में शौचालय बने हुए हैं कि कब और कितनी टाइम गिर जाए इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता हैं। इतनी घटिया सामग्री से शौचालय बनाये गए हैं और ऐसे तमाम शौचालय हैं जिनमें दरवाजे तक नही लगें है अगर लगे भी है तो किसी मे सीट नही है तो किसी में गढ्ढा ऐसे में शौचालय बिना उपयोग किये ही जर्जर होकर धराशाही होकर गिर गए है।

और जो शौचालय बने भी हैं तो घरों की शोभा पढ़ा रहा है उपयोग योग्य नही जिनमें भूसा , लकड़ी , कंडे भरे देखे जाएंगे घर के कबाड़ भरे दिख जाएंगे। परंतु बहुत कम ऐसे शौचालय होंगे जिसका लोग उपयोग कर रहे हैं। अब जरा सोचिए की सरकार ऐसी सुविधाएं देती है जिसका लोग उपयोग नहीं कर पाते है।

इससे क्या फायदा इसका मतलब सरकारी पैसों को कहीं ना कहीं से बर्बाद किया गया है। जो सरकार ने शौचालय के लिए मन बनाया और लगभग सभी लोगों के घरों तक इस योजना का लाभ पहुंचाया। जो यह पहल सरकार की बहुत अच्छी पहल थी लेकिन सरकार ने इसका जांच नहीं करवाया व वेरीफाई नहीं करवाया जिससे पता चलता कि जमीनी स्तर पर कितने शौचालय चालू हैं।

जिससे कौन- कौन और कितने शौचालय उपयोग करने योग्य हैं और कौन- कौन शौचालय घर की शोभा बना रहा है। जिसपर पर सरकार ने शायद ध्यान नही दिया जो जांच कार्य से वांछित रह गए यह कही ना कहीं गलत बात जरूर है।

यदि ग्रामीण जनता शौचालय का उपयोग नहीं कर रहा है तो इसका मतलब यही है कि कही न कही शौचालय जैसा बनना चाहिए और जितनी लागत लगनी चाहिए उतनी लागत नहीं लगी शायद इसी लिए शौचालय उस हिसाब से नहीं बन पाए।

और अभी भी ग्रामीण खेतों में शौच करने पर मजबूर हैं। सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए और शौचालय पर जांच लगवाना चाहिए यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिए। क्योंकि जो सरकारी पैसा है वह कहीं ना कहीं से जनता के खून पसीने का कमाया हुआ पैसा है।

जो किसी न किसी रूप में सरकारी खजाने में पहुंचा है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में जांच की जाय तो पता चले कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी शौचालय कितने उपयोग हो रहे हैं और कितने बाकी या आधे अधूरे पड़े है या फिर उसमें लकड़ी कंडे कबाड़ भरा है।

ऐसे में सरकार को एक बार सोचना चाहिए  और जांच कर भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही करें ।
रिपोर्ट-सत्यवान पाल

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