11 अगस्त को रक्षाबंधन उचित व शास्त्र सम्मत-ज्योतिषाचार्य

न्यूज 22 इंडिया डेस्क

भद्रा परिहार विचार

कई लोग भद्रा का परिहार कर 11 अगस्त को दिन में ही रक्षाबंधन को उचित बता रहे है । पहला कि भद्रा पाताल में है , धरती पर नहीं है । अतः यह भद्रा शुभ कारक है दूसरा परिहार है : –

अर्थात् दिन की तिथि के पूर्वाधं वाली भद्रा रात में या रात की भद्रा दिन में आ जाय तो यह सुभकारक होती है पूर्णिमा की भद्रा दिन पूर्वार्ध की है अतः सूर्यास्त के बाद रक्षाबंधन करना शुभ है । तीसरा परिहार कि भद्रा के पुग्छ फाल में दिन में रक्षाबंधन करना चाहिए ।

चौथा परिहार कि मध्याह्न काल के बाद भद्रा प्रभाव शून्य होती है अतः दोपहर से लखनऊ । इस वर्ष रक्षा बंधन व उपाकर्म को लेकर संशय की स्थिति बन गयी है क्योंकि कुछ पंचांगों 11 अगस्त को बताया गया है ,

कुछ पंचांगों में 12 अगस्त को तथा कुछ पंचांगों में 11 एवं 12 दोनों दिन बताया गया है । निष्कर्ष यही है कि रक्षाबंधन 11 अगस्त को भद्रा के बाद रात में मनाना चाहिए , यही शास्त्रसम्मत है ।

भद्रा रात में 20 : 50-8 : 50PM तक है । इसके बाद रक्षाबंधन बहनें आपने भाई के हाथ में बांधे शुभ होगा । 12 अगस्त को रक्षाबंधन नहीं है ।

उपाकर्म के लिए वेद व शाखाओं के अनुसार अलग – अलग व्यवस्था व परम्परा है । वर्तमान में हमलोग शुक्ल यजुर्वेद से सम्बद्ध है . हमलोगों का उपाकर्म 11 अगस्त को दिन में चतुर्दशी बाद पूर्णिमा में होगा कुछ पंचांगों में रक्षाबंधन उपाकर्म 11 अगस्त को बताया गया है , कुछ पंचांगों 12 अगस्त को और कुछ पंचांगों में 11 और 12 दोनों दिन बताया गया है ।

इससे सम्बंधित मैसेज भी खूब वायरल हो रहे हैं । यद्यपि बहुत से पंचांगों में 12 अगस्त को रक्षाबंधन बताया गया है 12 को रक्षाबंधन मनाने में सुविधा भी है क्योंकि सुबह ही सब कुछ सम्पन्न हो जायेगा । 11 अगस्त को भद्रा बाद रात में सम्भव नहीं है।

हमारे सरकारी कार्यालयों में भी प्रायः रक्षा बंधन की छुट्टी 12 अगस्त को ही है , अतः अधिकतम लोग 12 अगस्त को मनाना चाहेंगे या मनायेंगे भी किसी धार्मिक कार्य , पर्व या व्रत आदि का निर्णय न किसी को सुविधा के अनुसार होता है और न सरकारी छुट्टियों के अनुसार होता है ।

न तो शास्त्रविरुद्ध कल्पित तों या युक्तियों से निर्णय होता है और न संख्या बल को देखकर निर्णय होता बल्कि शास्त्रों के अनुसार ही निर्णय होता है अवश्य याद रखना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं है ,

इसके लिए शास्त्र ही प्रमाण हैं शास्त्र विधान की जानकर तदनुसार ही कार्य करना चाहिए शास्त्र विधि का त्याग कर मनमाने ढंग से किया गया कर्म न तो सुख या सिद्धि का हेतु होता है और न परलोक सिद्धि या मुक्ति का ही हेतू होता है ।

परम्परा भी वही मान्य जो शास्त्र से अनुमोदित हो या शास्त्र से अविरुद्ध हो या जहाँ विवाह आदि में शास्त्र ने परम्परा को महत्त्व दे रखा हो क्या रात में जन्म दे दिन मनाया जा सकता है जो कि जन्म दिन है तो दिन में मनाना चाहिए जन्म रात्रि तो है नहीं कि रात में मनाया जाय फिर भी धूमधाम से सज – धज कर मनाते हैं तो रक्षाबंधन मनाने में कैसी असुविधा ?

वस्तुतः पर्याप्त तीन या छः मुहूर्त से अधिक पूर्णिमा होने पर भी धर्म सिन्धु के अनुसार रक्षाबंधन का समय अपराह्न या प्रदोष ही बताया गया है । यह अलग बात है कि हमलोग प्रायः सुबह ही रक्षाबंधन सम्पन्न कर लेते हैं , दोपहर तक पहुँचते ही कहाँ हैं ,

फिर प्रदोष की क्या बात की जाय ? अर्थात् रात में रक्षाबंधन नयी बात नहीं है पर हमें ज्ञात नहीं है इसलिए रात को रक्षाबंधन सुनकर कुछ अटपटा – सा लग रहा है ।

फिर भी किसी को असुविधा है , शास्त्र से कोई लेना देना है नहीं , तो वह 12 अगस्त को मनाये या 11 अगस्त को सुबह , दोपहर , शाम को मनाये या अपनी इच्छा से जब चाहे तब मनाये या न मनाये वह स्वतंत्र है निर्णय यही है कि रक्षाबंधन या हमलोगों का उपाकर्म 11 अगस्त को ही उचित व शास्त्र सम्मत है ।

रक्षाबंधन में कोई प्रतिबन्ध नहीं है । पांचवां परिहार कुछ लोग भद्रा की हंसी , नन्दिनी , त्रिशिरा , सुमुखी करालिका पैकृति , रौद्रमुखी एवं चतुर्मुखी रूप नामतुल्य फल वाली संज्ञाओं के आधार पर कर रहे हैं ।

कुछ और भी परिहार पीयूषधारा टीका आदि ग्रन्थों में देखने को मिलते हैं श्रवणयुक्त पूर्णिमा या उत्तरा व धनिष्ठा के कुछ भागों से युक्त पूर्णिमा जब भी होगी भद्रा पाताल में ही मिलेगी , फिर भद्रा का निषेध क्यों किया गया है ?

यदि कहे कि कुम्भ को भद्रा का निषेध है न कि मकर या धनु की भद्रा का तो यह भी कहना उचित नहीं है क्योंकि यदि ऐसा होता तो हमारे पूर्वज भद्रा के बाद रात में रक्षाबंधन का विधान न करते दिन में ही करते 3 निष्कर्ष निष्कर्ष यही है कि रक्षाबंधन एवं हमलोगों का उपाकर्म 11 अगस्त को है 12 अगस्त को शास्त्र सम्मत नहीं है ।

फिर भी यदि किसी ने 12 को रक्षाबंधन प्रचारित कर दिया है , यदि ये संशोधित कर लें . 11 अगस्त को प्रचारित करें तो अत्युत्तम क्योंकि आरम्भ काल में प्रकाशन या प्रचार के समय उतनी गहराई से प्रायः विचार न होने के कारण अनवधान हो जाता है , गहराई से विचार तब होता है जब विषय विवादित हो जाय ।

अतः दोष किसी का नहीं है । जब समझ में आ जाय सही पक्ष स्वीकार कर लेना चाहिए । यदि किसी कारण से किन्हीं को 12 अगस्त को बदलना सम्भव नहीं हो पा रहा है या किसी कारण से 12 अगस्त को ही रक्षाबंधन की विवशता है उनसे अनुरोध है कि सूर्योदय के बाद दिन बदलेगा ,

उससे पहले अर्थात् वे 12 अगस्त को सूर्योदय से पूर्व ब्राह्य मुहूर्त में कर लें इससे प्रतिपद् वेध आदि दोषों से बचा जा सकता है सूर्योदय होते ही रक्षाबंधन निषिद्ध हो जायेगा । वस्तुतः 11 अगस्त को रक्षाबंधन करना उत्तम पक्ष है ।

डा . अनुराग पाठक , एम . ए . पीएच.डी .. ज्योतिषशास्त्र

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