प्रभु श्रीरामचंद्रजी ने चतुर्भुज रूप में लिया अवतार : पं कमला कान्त
न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-सचिन गुप्ता
सिरौलीगौसपुर बाराबंकी
जब जब पृथ्वी पर अत्याचार अपनी चरम सीमा पर बढ़ गया तो आशुरी शक्तियों का दमन करने के लिए भगवान विष्णु ने चतुर्भुज रूप में अवतार लिया ।
यह बात ग्राम खजुरिहा में शिवनाथेशवर मंदिर पर चल नहीं श्रीरामचरितमानस कथा प्रसंग के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित कमलाकांत जी महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पर अत्याचारी रावण व अन्य आसुरी शक्तियों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर बढ़ गया तो पृथ्वी आतताई शक्तियो के भार को सहन नहीं कर सकी तो वह देवताओं के साथ भगवान विष्णु की शरण में गई जहां पर वह रुदन करने लगी भगवान विष्णु का ह्रदय उसके कातरपूर्ण रुदन को सुनकर द्रवीभूत हो गया
उन्होंने कहा कि कुछ समय के लिए और धीरज रखो मैं त्रेता युग में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के यहां सभी अंशों के साथ अवतार लूंगा तत्पश्चात कश्यप आदित्य को दिए गए ।
बचन को सिद्ध करने के लिए भक्तों का कल्याण करने हेतु रघुकुल में प्रभु श्री रामचंद्र जी ने अपने सभी अंशों के साथ अवतार लिया और वे कौशल्या के सामने अपने चारों भुजाओं में शंख चक्र गदा पद्म धारण करते हुए प्रकट हो गए भगवान ने प्रकट होते ही कौशल्या को माता कहकर पुकारा ।
जो माता ने कहा मुझे ऐसा पुत्र नहीं चाहिए आप छोटे हो जाइए जिससे मैं आपको प्रेम कर सकूं मां के ऐसे वात्सल्य पूर्ण शब्दों को सुनकर के करुणानिधान भगवान तुरंत शिशु स्वरूप में हो गये तो मां कौशल्या ने सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति होने के पश्चात अपने प्रेम को उन पर बलिहार करना शुरू कर दिया तत्पश्चात उनका नामकरण संस्कार कराए ।
जाने पर उनका नाम राम रखा गया जो बड़े होकर के मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के नाम से प्रसिद्ध हो गए इस मौके पर उन्होंने ठुमुकि चलत रामचंद्र बाजत है पैजनिया वा छवि को निहारत है तीनों रनिया जब गया तो भक्त भावविभोर हो गए ।
इस अवसर पर बृजेश कुमार पांडे अजीत कुमार पांडे अमित कुमार पांडे दीपक रामकुमार पांडे समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।