अनजाने में किए गए कर्म के फल भी मनुष्य को भोगने पड़ते हैं-कथा वाचक

 

न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-शिवशंकर तिवारी
रामसनेहीघाट-बाराबंकी
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करई सो तस फल चाखा। कर्म की शक्ति बड़ी गहन है जो जैसा करता है उसे वैसा ही फल भुगतना पड़ता है।

यह बात क्षेत्र के शुक्लन पुरवा गांव स्थित शिव हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे श्रीराम महायज्ञ एवं विशाल संत सम्मेलन के पांचवे दिन उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कथावाचक पंडित अनिल शास्त्री जी ने कही। उन्होंने कहा कि इस संसार में मनुष्य को कर्म करने की पूरी छूट मिली हुई है,

विधाता किसी भी व्यक्ति को कर्म करने से नहीं रोकता लेकिन जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे फल देने के लिए परमात्मा स्वतंत्र होता है।

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि अनजाने में किए गए कर्म के फल भी मनुष्य को भोगने पड़ते हैं। ऐसा ही अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के साथ हुआ,शिकार के दौरान अनजाने में श्रवण कुमार को तीर लग जाने के फलस्वरूप मौत हो गई,

ऐसे में जब राजा दशरथ श्रवण के माता पिता को पानी पिलाने के लिए पहुंचे तो दशरथ ने उन्हें बताया कि आपका पुत्र मेरे बाणों से आहत होकर शरीर छोड़ चुका है। इस समाचार से कुपित होकर श्रवण के माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दे दिया कि जिस तरह से मैं अपने पुत्र के वियोग में मर रहा हूं उसी तरह आप भी अपने पुत्र के वियोग में मरेंगे।

हालांकि राजा दशरथ ने यह कर्म अनजाने में किया था लेकिन श्रवण के माता पिता के श्राप के चलते उन्हें पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने पड़े थे। कर्म चाहे जाने में किया जाए या अनजाने में उसका फल अवश्य भोगना पड़ता है।

आज की कथा के दौरान यज्ञ के मंच संचालक दिनेश शुक्ल, आचार्य दिनेश मिश्र, आचार्य मोहित शुक्ल, पत्रकार भोलानाथ मिश्र,रामबाबू मिश्र,राकेश श्रीवास्तव,अमर बहादुर सिंह,राघवेंद्र सिंह, अविनाश सिंह, सुशील मिश्र, अभिषेक अग्निहोत्री,

आदित्य शुक्ल, मनीष शुक्ल, आकाश सिंह, प्रेम नारायण, शिवम मिश्र सहित तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे।