मौत फनां का नाम नहीं बल्कि अगली जिन्दगी तक पहुचाने का ज़रीया है-मौलाना अब्बास

न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-सरवर अली
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
मौत ऐसी हक़ीक़त है जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता है ।मौत फनां का नाम नहीं बल्कि अगली जिन्दगी तक पहुचाने का ज़रीया है । अक़ीदे के साथ जिसका अमल सही होगा वही कामयाब होगा ।

वो न करो जो दिल चाहता है वो करो जो खुदा चाहता है ये बात इमामबाड़ा मीर मासूम अली में मरहूमा क़ुद्दूसुन्निशा बिन्ते सै0 रज़ा हुसैन रिज़वी की मज्लिसे देसा को खिताब करते हुये मौलाना अब्बास इरशाद नक़वी ने कही उन्होंने यह भी कहा कि शिया क़ौम की अस्ल ताक़त है।

मज्लिसे हुसैन में होने वाले दो लेक्चर 1- फज़ायल,2-मसायब । फज़ायल हिम्मत बढाता है,किसी से दबने नहीं देता । मसायब बर्दाश्त (सब्र )करने की क़ूवत अता करता है डरने नहीं देता ।

मजलिस से पहले इफहाम उतरौलवी ने पढ़ा- जन्नत का शाहजादा पिसर फातिमा का है,कहते हैं खुल्द जिसको वो घर फातिमा का है।लाखों बरस में लिख नहीं सकता इसे कोई ,अट्ठारह बरस का जो सफ़र फातिमा का है।किरतास कर्बलाई ने पढ़ा-यज़ीदे वक़्त मेरे चश्मे तर से डरता है ।वो इन्क़लाब है अश्क़े अज़ा के लहजे में ।

अजमल किन्तूरी ने अपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुए पढ़ा – कोई दौलत न तो शोहरत न हुकूमत मांगे । कुछ किसी से न कभी वख्ते ज़रूरत मांगे । देखकर खाब की आंखों से ज़ुबैदा का महेल ।

हाकिमे वख्त भी दीवाने से जन्नत मांगे ।इसके अलावा कलीम आज़र, बाक़र नक़वी,मुज़फ्फ़र इमाम व अयान ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश किया ।निज़ामत बाक़र नक़वी ने की ।

मौलाना हिलाल अब्बास ने तिलावते कलामे इलाही से मजलिस का आगाज़ किया। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।