परमात्मा को पाने की बढ़ती आतुरता कल्याण का मार्ग खोल देती है-साध्वी माण्डवी

 

न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-शिवशंकर तिवारी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी
जब हम भगवान की जयकार करते हैं तो केवल और केवल भगवान की ही जयकार नही होती बल्कि मानवता की,शुचिता की,पावनता की जय जयकार होती है।

उक्त विचार निस्कापुर (छुलिहा) में चल रहे पंच दिवसीय सत्संग समारोह के तीसरे दिन श्री अयोध्या धाम से पधारी साध्वी माण्डवी अनुचरी जी ने व्यक्त किये।उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य स्वयं की जय जयकार करना चाहता है तो उसे भगवान की जयकार करना ही पड़ेगा।

भगवान की अहैतुकी कृपा पाने के लिए सन्त का सानिध्य आवश्यक है और सन्त का सानिध्य पाने के लिए पूर्व जन्मों के पुण्य पुंजों का आधार आवश्यक है।रामचरित मानस मनोरंजन का नही मनोमंथन का ग्रंथ है।

जीवन में काम के बजाय राम को महत्व दें,जीवन परिवर्तन का साक्षी बनेगा। मानव जीवन जीते हुए आदर्श के उच्चतम मानदंडों को छूने का नाम राम है।

जीव,ब्रह्म का अंश है और उसी तरह ब्रह्म से मिलता है जैसे नदियाँ अंततः सागर में जाने को आतुर रहती है।
परमात्मा को पाने की बढ़ती आतुरता कल्याण का मार्ग खोल देती है।
इस मौके पर वी.एन. मिश्र,भास्कर जी प्रचारक,शिवेन्द्र प्रताप सिंह,रंगनाथ मिश्र, विवेक पाण्डेय, राघवेंद्र सिंह ,अम्बिका प्रसाद आदि उपस्थित रहे।