राजारामन मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की ग्रामीणों ने की मांग

न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-शिवशंकर तिवारी
रामसनेहीघाट-बाराबंकी

तहसील क्षेत्र अंतर्गत गोमती नदी के तट पर दादूपुर गांव के निकट 65 बीघे क्षेत्रफल में फैले राजारामन मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग ग्रामीणों ने इंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से की है।

विदित हो कि गोमती नदी के तट पर 65 बीघे जमीन देवस्थान रामचंद्र महाराज के नाम अभिलेखों में दर्ज है।

 

इस भूमि पर तमाम जंगली पेड़ लगे होने के साथ ही यहां पर दुर्गा माता मंदिर गणेश जी मंदिर के साथ ही भगवान राम के खड़ाऊ का मंदिर बना हुआ है। जनश्रुति के मुताबिक भगवान राम के वन गमन के बाद उन्हें चित्रकूट मनाने गए भरत जी उनके खड़ाऊ लेकर वापसी के समय इसी स्थान पर एक रात विश्राम किया था।

 

दादूपुर गांव के बुजुर्ग 80 वर्षीय वासुदेव सिंह के मुताबिक उनके बाबा बताते थे कि झाड़ी के रूप में बने खड़ाऊ मंदिर को करीब 200 वर्ष पूर्व गांव के ही जगन्नाथ सिंह ने मंदिर बनवाने का प्रयास किया तो दिन भर मंदिर की दीवारें खड़ी होती थी रात में गिर जाती थी इसके बाद उन्हें स्वप्न आया कि यहां मंदिर ना बनवाओ।

 

उसके बाद मंदिर निर्माण रोक दिया गया जिसके प्रमाण के रूप में चौड़ी वाली इंटे आज भी वहां मौजूद हैं।गांव के बुजुर्गों के मुताबिक गांव का ही महादेव नामक व्यक्ति मंदिर पर रहकर साफ सफाई करता था। एक दिन उसे मंदिर पर मेला लगवाने का सपना आया।

 

ऐसे में वह कमर में घण्टा बांधकर आस पास के कई गांवो में घूम घूम कर इसका प्रचार किया तभी से मंदिर पर प्रतिवर्ष चैत रामनवमी को मेला तथा हर मंगलवार को श्री सत्यनारायण भगवान की कथा व संस्कार कराने की परंपरा के साथ ही साल में दो बार भंडारे का आयोजन ग्रामीणों के सहयोग से किया जाने लगा। ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर श्रद्धालु जो भी मनौती मानते हैं उनकी मनौती भगवान राम अवश्य पूरी करते हैं।

 

गांव से करीब एक किलोमीटर दूर इस स्थान तक जाने के लिए ब्लाक प्रमुख उर्मिला वर्मा द्वारा खड़ंजा तो रुचि वर्मा द्वारा आरसीसी मार्ग का निर्माण कराया गया है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की मांग की है।