जनप्रतिनिधि के सौतेले व्यवहार का दंश झेल रहे स्थानीय ग्रामीण
जनप्रतिनिधि के कार्यशैली पर सवालिया प्रश्न चिन्ह..?
न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट- सूरज सिंह
बाराबंकी बाराबंकी
जिले के रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के भौसिंहपुर मजरे दुल्लापुर के ग्रामीणो ने आवास न मिलने से जर्जर आवास में रहने को मजबूर है,सरकार ने इसी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी कि वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब व पात्र व्यक्ति के रहने के लिए पक्का आशियाना हो,
लेकिन अभी भी बहुत से गरीब परिवार इस योजना से वंचित हैं।बरसात के महीने में पुराने जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं।बारिश से बचने के लिए इन परिवारों को पालीथिन तिरपाल या दूसरे के छत का सहारा लेना पड़ रहा है।
वहीं अमीर,प्रभावशाली लोगों की मौज ही मौज हो रहीं हैं। बताते चले कि पूरा मामला भौसिंहपुर मजरे दुल्लापुर का है जहां पर दर्जनों ग्राम वासियों के पास रहने के लिए आवास नहीं जब हमारी टीम मौके पर पडताल करने पहुंची तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी।
घर में रहने वाले गरीब महिलाओं ने बताया कि जब बारिश का मौसम बारिश होनी शुरू होती है,तब मन में एक ही सवाल होता है कि सुबह होगी या नहीं ग्राम प्रधान द्वारा की जा रही है मनमानी है पात्रों को ही आवास नहीं दिया जा रहा है।
जनपद बाराबंकी विकास खंड बनीकोडर के ग्राम भौसिंहपुर मजरे दुल्लापुर निवासी ग्रामीण बुजुर्ग रामदेव पुत्र कृष्णराज भी आवास से वंचितों में से एक है। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव के कार्यशैली पर तरह तरह के सवाल उठ रहे है,
सौतेले व्यवहार से वह आज भी छप्पर के नीचे जीवन यापन कर रहे है।छत के नाम पर कुछ भी नहीं है। और थोड़ी सी बारिश के बाद छप्पर में चारों ओर पानी टपकने लगता है।इस दौरान समान,गृहस्थी भी भीग जाती हैं,स्थानीय ग्रामवासियों में रामकिशोर,
राजकिशोर,रामदेव,रामदुलारे,साधना,शिवकरन,मीरा,क़ुसुमा,मनोज,चांदनी,सुनीता,सुमन,राजकरन,रिंकी,आदि ने बताया कि वह बेहद गरीब हैं।
निकलने के लिए भी कोई समुचित रास्ता नहीं है।रास्ते पर पानी भर जाता और वही पानी घर मे भी भर जाता है, बारिश में जो मकान था वह भी गिर गया है।