भीषण बाढ़ से तराई क्षेत्र के गाँवों के बिगड़े हालात, तटबंध पर शरण लिए बैठे हुए है बाढ़ पीड़ित
न्यूज 22 इंडिया डेस्क
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
एक बार फिर नेपाल से सटे हुए उत्तराखंड के बनबसा बैराज से साढ़े पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया जिससे आयी बाढ़ से ग्रामीणों के बिगड़े हालात जो चौथे दिन ही पानी घटने लगा जिसे देख तराई क्षेत्र के लोगो ने ली रागत की सांस।
गौरतलब हो कि इससे पहले भी जनपद के सरयू नदी क्षेत्र के तटीय इलाकों में आयी बाढ़ से लोग अभी उबर भी नहीं पाए थे कि बनबसा बैराज से फिर एकबार छोड़ा गया पानी, तहसील रामनगर,
सिरौलीगौसपुर, रामसनेही घाट क्षेत्र के तराई इलाकों में तबाही मचाने लगा है। यहां के करीब तीन दर्जन से अधिक गांव पानी से लबालब हो गए हैं। जो घाघरा (सरयू) नदी में बनबसा बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी से जिले के तराई क्षेत्र में भीषण बाढ़ का संकट पैदा होने लगे थे ।
जो बांध के अंदर बसे करीब दर्जनों गांव पूरी तरह जलमग्न है। यह इस वर्ष की सबसे बड़ी बाढ़ है। प्रशासन द्वारा हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, फिर हाल शुक्रवार से पानी घटने लगा है।
वही चार दिन पूर्व पानी को देखते हुए हेतमापुर बांध के अंदर बसे गांव के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया था।
जो गुरुवार को क्षेत्रीय विधायक शरद कुमार अवस्थी ने बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण कर लंच पैकेट एवं खाद्यान्न बांटने के निर्देश तहसील प्रशासन को दिए। हालात खराब देख जरूरी सामानों के साथ बाढ़ पीड़ित अपने परिवार संग तटबंध की ओर पलायन करने लगे हैं।
जैसे मदरहा , कचनापुर , बेलहरी, सुंदरनगर, कोड़री, आदि कई क्षेत्रों के सैकड़ों परिवार तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
हाई अलर्ट जारी होने के चार दिन बाद भी सकतापुर, मदरहा गांव में सुविधाएं अधूरी हैं।
यही नहीं अभी तक लाइन खींचने के बाद भी बिजली आपूर्ति नही चालू हो सकी। जिससे मदरहा, सकतपुर आदि गांव के लोग शरण लिए बाढ़ पीड़ित अंधेरे में रात गुजार रहे हैं।