कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता वर्तमान समय में है दुर्लभ-श्री रासबिहारी जी महाराज

न्यूज 22 इंडिया
रिपोर्ट-सत्यवान पाल
सूरतगंज बाराबंकी
सूरतगंज चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन बुधवार को अयोध्या धाम से पधारे कथा वाचक रासबिहारी जी महाराज ने सुदामा चरित्र का प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि

संसार में मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। सुदामा के आने की खबर मिलने पर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी परात को हाथ छुयो नहिं,

नैनन के जल से पग धोए, अर्थात श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया, परन्तु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुख हुआ है कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए।

आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं, और काम निकल जाने पर वे एक दुसरे को भूल जाते है। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए।

भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा।

इसके फलस्वरूप कृष्ण ने बिन मांगे सुदामा को परम पद प्रदान किया। कथा के अंत मे फूलों की होली व शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया। गद्दी सेवकों ने फूलों की होली में आंनद के साथ नृत्य किया ।  इस सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गये।

प्रसंगानुसार वृंदावन के कलाकारों की प्रसिद्ध झांकी टीम ने कृष्ण सुदामा मिलन की दिव्य सजीव झांकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया।

कार्यक्रम में कथा आयोजक रामकिशोर दीक्षित ने बताया कि बृहस्पतिवार को सुबह नौ बजे हवन- पूजन तथा शाम तीन बजे भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसमे सभी भक्तगण पहुंचकर भण्डारे प्रसाद ग्रहण करें।

इस मौके पर विनोद कुमार दीक्षित, रोहित दीक्षित, पंकज शुक्ला, आचार्य संतोष महराज जी , मनीष निगम, अमित, सूरज एवं तमाम भक्तगण आदि मौजूद रहे।

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