तेरे वादे तेरे प्यार की मोहताज नहीं,ए कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं । लोग‌ होठो पे सजाये हुये फिरते हैं मुझे,मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं

बदलाव की बहती गंगा में सब कुछ समाहित कर लोकहित की मंगलकामना का स्वान्ग अब मुखर होने लगा है।भारत की पुरातन गंगा जमुनी तहजीब अजीब कसम कस में बिलुप्त होती जा रही है?।

नफरत की आग धुआं देने लगी है! तफरका पैदा करने वाले जो आजादी के जमाने से ही अपने प्रायोजित नियोजित दूरगामी सोच के सहारे विघटन की रणनिति बनाते रहे हैं औरइस देश के गद्दार सियासतदारों के छांव में पलते रहें हैं!

आज अपने आप बाहर निकलने लगे है?हर कोई हैरत में हैं! समरसता सौहार्द के साथ‌ समता मूलक समाज की परिकल्पना करने वाले समाज साधक आखिर कहां चुप बैठे‌ है? कल तक सड़कों पर नंगा नाच करने वालो की जमात में कुराफात का नया नया फंडा शामिल करने वालों के चलते बिषाक्त होता

वातावरण इन्सानियत का चीरहरण कर रहा है!भाई चारगी एकबारगी शून्य के सूचकांक पर कैसे चली गयी!भोली भाली जनता क्यो ठगी गई!ये तमाम सवाल आज बवाल बनकर कदम ताल कर रहा है। सीयासत के शानीध्य में पनपने वाले असामाजिक तत्त्वों के चलते‌ ही वैमन्श्यता का बिष बेल तेजी से फ़ैल रहा है।

हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करने वालो की दोगली चाल के कारण ही वर्तमान ब्यवस्था बदहाल होती जा रही है। आम आदमी अपनी दो जून की रोजी रोटी में पैमाल है! वहीं अराजकता की खेती करने वाले तबाही की तस्बीर जगह जगह बनाते जा रहे हैं।

आजादी के पहले दशक में ही जो बीज बोया गया उसका पौधा आज बिसाल बट बृक्ष बन चुका है।इस देश को आजाद हुये सात दशक से उपर हो गया! क्या आप ने कभी

कानून 30‌कानून 30 ए का नाम सुना है।क्या आप जानते हैं कि “30A” का हिन्दी में क्या मतलब होता है।30A संविधान में निहित एक काला कानून है जो हिन्दू समुदाय को बिलुप्त करने के लिये काफी है!तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने जब इस कानून को संविधान में शामिल करने की कोशिश की तो बाबा साहेब आंबेडकर ने इसका कड़ा विरोध किया!

बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा,यह कानून हिंदुओं के साथ विश्वासघात है!इसलिए अगर यह काला कानून संविधान में लाया गया तो मैं कैबिनेट और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा!—?? आखिरकार बाबा साहेब आंबेडकर की इच्छा के आगे घुटने टेकने पड़े नेहरू को नहीं लागू हो सका

यह काला कानून?लेकिन दुर्भाग्य से पता नहीं.कैसे इस घटना कुछ ही महीनों ‌बाद ही‌ बाबा साहेब आंबेडकर की अचानक मौत हो गई?अंबेडकर जी की मृत्यु के बाद नेहरू ने इस कानून को संविधान में बेखौफ से रोक टोक शामिल करा दिया? सम्विधान की धारा 30 एवं 30ए. की विशेषताएं बताता हूं

पढ़कर सुनकर चौंक जायेगे? देश के गद्दारों के कारनामों को जानकर!इस कानून के अनुसार -हिंदुओं को हिंदुओं के बीच अपना “हिंदू धर्म” सिखाने की अनुमति नहीं है। अधिनियम 30ए उसे अनुमति या अधिकार नहीं देता?इसलिए हिंदुओं को अपने निजी कॉलेजों में हिंदू धर्म की पुस्तकों को पढ़ाने से रोका गया है! हिंदू धर्म की शिक्षा के लिए कॉलेज नहीं चलाये जा सकते!न उसका प्रचार प्रसार किया जा सकता है।

एक्ट 30ए के तहत पब्लिक स्कूलों या कॉलेजों में हिंदू धर्म पढ़ाने की अनुमति नहीं है!वही जरा चौंकाने वाले खेल देखिये!अजीब बात यह है कि (30ए) संविधान में एक और कानून बनाया गया! जिसके तहत कानून 30 के अनुसार मुसलमान अपनी धार्मिक शिक्षा के लिए इस्लामी धार्मिक स्कूल चला सकते है!.

मुसलमान मजहबी शिक्षा का प्रचार प्रसार बिना रोक-टोक कर सकते हैं!कानून 30 मुसलमानों को अपना ‘मदरसा’ शुरू करने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है?और संविधान का अनुच्छेद 30 ईसाइयों को अपने स्वयं के धार्मिक स्कूल और कॉलेज स्थापित करने और अपने धर्म को मुफ्त में पढ़ाने और प्रचार करने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है

!इसका एक और कानूनी पहलू यह है कि हिंदू मंदिरों का सारा धन और संपत्ति सरकार की सम्पत्ति होगी,!वहीं मुस्लिम और मस्जिदों की सम्पत्ति पर अधिकार उनका अपना होगा! मौलवी को तन्खाह सरकार देगी! वहीं मन्दिर के पुजारीयो को इसकी सुविधा नहीं होगी!.कानून 30″ अधिनियम 30ए”अधिनियम हिंदुओं के साथ जानबूझकर नाइंसाफी का उदाहरण तत्कालीन सरकार के मुखिया ने बनवाया जिसका

खामियाजा देश भुगत रहा है! धारा 370 –370ए=के साथ ही धारा 30–30ए को सम्विधान में आम्बेडकर जी की मौत के बाद जोड़ दिया गया! जब तक अम्बेडकर जिन्दा रहे इन गद्दारों की बोलती बंद रही! दुर्भाग्य से समय से पहले आम्बेडकर जी की मौत ने रास्ता बिश्वास घातियो का साफ कर दिया!

आज समय आ गया है इस काले कानून को सम्विधान से हटाने का! देश के गद्दार सियासतदार तब भी हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करते‌ है। नदी के दो किनारों के तरह कभी न मिलने वाली आस्था को ब्यवस्था में समाहित कर देश हित की बात करना ही बेमानी है।

नेहरू सरकार ने जिस भेदभाव का खेल खेला आज उस व्यवस्थित विश्वासघात का नतीजा है देश जल रहा है! उबल रहा है? इसका समुचित समाधान कर नये प्राविधान को सम्विधान में समाहित कर हिन्दू मुस्लिम एकता को समदर्शी बनाया जाना जरूरी हो गया है।
जगदीश सिंह

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