योगी जी अतिक्रमण हटे! लेकिन ना पड़ें किसी के पेट पर लात?

न्यूज 22 इंडिया
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
ठेलों पर दुकान चलाने वाले एवं फुटकर तथा पटरी पर बैठकर अति लघु व्यापार करने वाला घर का मुखिया जब अपने घर से बाहर निकलता हैं! तो उसके पूरे परिवार की आशा मुखिया व उसकी दुकान पर टिकी रहती है! क्योंकि उसकी कमाई से ही उसके पूरे परिवार के पेट की आग ठंडी होती है।

इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी अतिक्रमण हटे यह जरूरी है। लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि इस अभियान में किसी गरीब, फुटकर व पटरी अथवा ठेले वाले दुकानदार व उसके परिवार के पेट पर कहीं लात ना पड़ जाए? ऐसे में यह आवश्यक है कि मुख्यमंत्री जी आपकी नजर इस अभियान को पूरा करने वाले इंतकाम की भाषा बोलने वाले कई नौकरशाहों पर पैनी बनी रहनी चाहिए!

किसी ने यदि नाली ,रास्ते , सड़क पर कब्जा किया है तो उसके खिलाफ अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिए। लेकिन इससे उलट जिस प्रकार से अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत ठेलिया व खोमचा लगाने वाले छोटे फुटकर व पटरी दुकानदारों पर अभियान का डंडा चल रहा है! वह कहीं ना कहीं मानवता के दृष्टिकोण से अत्यंत सोचनीय भी है?

मात्र हजार दो हजार या चार-पांच सौ की पूंजी लगाकर व्यापार करने वाले ऐसे तमाम छोटे दुकानदार हैं। जो इसी पूंजी से अपना ही नहीं बल्कि अपने पूरे परिवार का पेट पालते हैं। घर आने वाले रिश्तेदार का सत्कार भी करते हैं! आपस में शादी विवाह हुआ तो उसका व्यवहार भी इसी छोटी दुकान से निकलता है!

बच्चों की शिक्षा, बच्चों के कपड़े, परिजनों की जरूरतें यही छोटी दुकान पूरा करती है? बेशक इन दुकानों से इतनी कमाई नहीं हो पाती। ऐसे में फुटकर व पटरी दुकानदार अपने सपनों का गला घोट देते हैं !

इस समय प्रदेश सरकार के निर्देश पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चल रहा है। तमाम चौराहों, कस्बों, बाजारों से फुटकर एवं पटरी दुकानदारों को हटाया गया है! अभी यह अभियान आगे भी जारी है!
इस स्थिति में आज इस महंगाई के दौर में ठेला व खोमचा चलाने वाले ,फुटकर व पटरी दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है? इन दुकानदारों की आंखों में असमंजस है ।परिवार को पालने की बेचैनी है! तो प्रशासन के आगे हाथ जोड़ने की बेबसी भी है?

ऐसे में आवश्यकता यह थी कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत सबसे पहले फुटकर एवं पटरी दुकानदारों अथवा ठेलों पर दुकान चलाने वाले छोटे दुकानदारों को पहले व्यवस्थित किया जाता? एकदम से यह आदेश जब आया तो ऐसे तमाम दुकानदारों के सामने अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी हो गई हैं?

यहां यह भी सत्य है कि ऐसे कई छोटे दुकानदारों की वजह से कई चौराहे व बाजार तथा रास्ते अतिक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। यदि इन्हें पहले से अच्छे ढंग से व्यवस्थित किया जाता? और फिर कोई दुकानदार बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता!
तो प्रशासन का डंडा उस पर चलना जरूरी था!लेकिन एकाएक चले अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत सबसे ज्यादा जो मार पड़ी है उसकी चपेट में फुटकर एवं पटरी तथा छोटे दुकानदार ही आये हैं?

ऐसे तमाम दबंग लोग हैं जिन्होंने व्यवसाय के नाम पर सड़कों, रास्तों एवं बाजारों की नालियों पर अवैध कब्जा कर रखा है!

ऐसे लोगों के विरुद्ध शक्ति के साथ अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाए। लेकिन पटरी व फुटकर दुकानदारों की बेबसी व उनकी बेचारगी को देखते हुए उनके पेट पर लात ना पड़े ! इसके लिए प्रदेश सरकार अथवा जिला प्रशासन को सजग रहना ही होगा!

सड़क पर चाट ,बर्फ लगाने वाले, लैया चना बेचने वाले, सब्जी ,फल बेचने वाले, मूंगफली व भूजा व अन्य सामान बेचने वाले ऐसे दुकानदार जब सुबह अपने घर से निकलते हैं तो! उनके पूरे परिवार की आशा अपने मुखिया से व उसकी इसी छोटी दुकान पर टिकी होती है! कि वह जब घर लौटेगा तो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करके लौटेगा?

एक पत्रकार व एक नागरिक के तौर पर मैं कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया यह बात बेबाक कहता हूं कि यदि अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत ऐसे दुकानदारों को बिना व्यवस्थित किए उन्हें अभियान का शिकार बना दिया गया तो इनकी व इनसे जुड़े तमाम लोगों की पेट की आग को कैसे बुझाया जा सकेगा?

इसलिए मुख्यमंत्री जी जरूरी है कि आपकी नजर अतिक्रमण विरोधी अभियान में लगे अपने उन नौकरशाहों पर भी पैनी बनी रहे! जिनका व्यवहार कार्यवाही के नाम पर केवल इंतकाम बोलता है! क्योंकि वैसे भी गरीब की स्थिति दासता के आगे कुछ बोल ही नहीं पाती!

अतिक्रमण विरोधी अभियान के साथ ही आवश्यक है कि फुटकर एवं पटरी दुकानदारों के लिए अलग से दुकान लगाने के स्थानों को चिन्हित किया जाए। जिससे कि इन दुकानदारों के भरोसे जो परिवार जिंदा है! उनकी सांसे भी चलती रहें?

जनपद के हजारों ऐसे दुकानदार हैं जो अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत आज अपने परिवार को जिंदा रखने के लिए जिल्लत के साथ कड़ी धूप में कड़ी मशक्कत करते नजर आ रहे हैं! परिवार की भूख एवं अभियान में लगे अधिकारियों को देखते ही उनकी रूह कांप उठती है। इसलिए मुख्यमंत्री जी इस पर सहृदयता से सोचने की आवश्यकता है!

स्पष्ट है कि अतिक्रमण हटे? लेकिन इस अभियान के दौरान किसी गरीब ,फुटकर, पटरी दुकानदार के पेट पर कहीं लात न पड़ जाए इसका ख्याल भी बहुत जरूरी है! वैसे खबर है कि जिला प्रशासन उपरोक्त दुकानदारों को व्यवस्थित करने की व्यवस्था को पूरा करने में जुटा हुआ है!लेकिन देखों आगे होता क्या है??
कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया

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